मास्टॉयडेक्टॉमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमे मस्टॉयड हड्डी के भीतर कान के पीछे खोपड़ी में खोखले, हवा से भरे स्थानों में कोशिकाओं को हटाने के लिए सर्जरी होती है। इन कोशिकाओं को मास्टॉयड एयर सेल कहा जाता है। हालांकि यह सर्जरी तब होती है जब व्यक्ति को कोलेस्टिटोमा या संक्रमण अधिक रहता है। इस प्रक्रिया को करने से पहले मरीज को छे घंटे भूखा रहना पड़ता है। इसके अलावा चिकिस्तक मरीज को जनरल एनेस्थीसिया देता है ताकि प्रक्रिया के दौरान दर्द अनुभव न हो। इस प्रक्रिया में कोलेस्टीटटोमा को निकाला जाता है क्योंकि कोलेस्टीटटोमा कान के पीछे त्वचा में असामन्य हड्डी है। यह कान के मध्य तरफ बढ़ती है या मेस्टोइ की तरफ बढ़ती है। इससे बहरापन होने का जोखिम रहता है। यही वजह है चिकिस्तक सर्जरी के माध्यम से इयर ड्रम को ठीक करता है और मरीज को सुनने की शक्ति दुबारा प्राप्त हो जाती है। चलिए आज के लेख में आपको मास्टोइडेक्टमी क्या होता हैं? के बारे में विस्तार से बताते हैं।
मास्टोइडेक्टमी करवाने की सलाह कुछ निम्न स्तिथियो के आधार पर दिया जा सकता है।
- जैसे – मेस्टोइड बोन संक्रमण जिनपर एंटोबायोटिक का प्रभाव न हो।
- कान का संक्रमण।
- कोलेस्टिटोमा।
- कुछ निम्न लक्षण नजर आने पर सर्जरी की अनुमति दे सकते है।
- बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- चक्कर आना।
- कान में दर्द होना।
- एक कान में सुनाई देना और एक कान में नहीं।
- चिड़चिड़ापन आना।
- कान से कुछ तरल पदार्थ का स्राव होना।
- कान में दबाव होना।
- कान में सूजन आना।
मास्टोइडेक्टमी कैसे की जाती हैं ?
- मास्टोइडेक्टमी के पहले चिकिस्तक मरीज के कान की जांच करते है। इसके बीमारी इतिहास और कानो की समस्या व लक्षण के बारे में जानकारी लगे। हालांकि सर्जरी के पहले आपको निम्न सलाह देते है, जैसे कुछ ड्राप कान में डालने देंगे, रक्त पतली करने वाली दवा का सेवन न करने की सलाह देंगे, सर्जरी के छे घंटे पहले कुछ न खाएं।
- मास्टोइडेक्टमी की प्रक्रिया शुरू करने पर मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया दिया जा सकता है। कान के पीछे एक चीरा लगाया जायेगा और आपके चिकिस्तक बोन ड्रिल की मदद से मिडिल कान व मेस्टोइ बोन तक पहुंचते है। हालांकि टीमपेनोप्लास्टी में मेस्टोइ को बहार निकाल दिया जाता है जिसे कान के गुहे सुरक्षित हो जाते है। मास्टॉयड हड्डी या कान के ऊतक के संक्रमित हिस्सों को हटा दिया जाता है और चीरे को सिलकर एक पट्टी के साथ कवर किया गया है। इसके अलावा सर्जन चीरा के आसपास तरल पदार्थ को इकट्ठा करने से रोकने के लिए कान के पीछे एक नाली डाल सकता है। इस प्रक्रिया में लगभग 2 से 3 घंटे का समय लग जाता है।
मास्टोइडेक्टमी के बाद देखभाल कैसे करें ?
मास्टोइडेक्टमी के बाद चिकिस्तक निम्न सावधानी रखने की सलाह देते है।
- सर्जरी के बाद कम से कम एक या दो हफ्ते तक काम पर न जाये और आराम करे।
- अगर खांसी या छींक आती है तो मुंह को खुला न रखे बल्कि मुंह पर रुमाल रखे।
- सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक भोजन का स्वाद अलग लग सकता है।
- सर्जरी के बाद कुछ महीनो तक व्यायाम न करे ताकि कानो पर प्रभाव न पड़े।
- सर्जरी के बाद स्नान के पहले कानो में रुई डाले, स्विमिंग बिलकुल भी न करें इससे कानो में पानी जा सकता है।
- कान की रुई को हमेशा बदलते रहना चाहिए ताकि संक्रमण का जोखिम न रहे।
- सर्जरी के बाद जबड़ो में सूजन आ सकती है, इसलिए आहार में हल्के भोजन ले।
- सोते समय सिर के निचे दो तकियो का उपयोग करे ताकि सिर थोड़ा ऊंचा रहे।
- अपने सिर को अत्यधिक न हिलाये और भार न दे।
मास्टोइडेक्टमी के बाद क्या जटिलताएं आ सकती हैं ?
मास्टॉयडेक्टॉमी के बाद निम्न जोखिम हो सकते है।
- चेहरे की तंत्रिका चोट।
- सुनवाई हानि होना।
- चक्कर आना।
- टिटनस।
- स्वाद गड़बड़ी।
- मस्तिष्कमेरु द्रव रिसाव।
- संशोधन सर्जरी की आवश्यकता पड़ना।
- पश्चात संक्रमण।
- रक्तस्राव होना।